नई दिल्ली: भारत-चीन (India-China) के बीच 6 जून को होने वाली कोर कमांडर स्तर की चर्चा से पहले ही दोनों ओर की सेनाओं में तनाव कम होने के संकेत दिखे. दोनों तरफ के सैनिकों ने अपनी तैनाती में आक्रामकता कम की है. गलवान घाटी में चीनी सैनिक थोड़ा पीछे हट गए हैं. उन्होंने अपने कैंप भी कम कर लिए हैं. हालांकि पेंगांग झील में अभी भी फिंगर फोर पर दोनों देश के सैनिक आमने-सामने हैं. इससे पहले भी भारत और चीनी सेना के ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत में कोई हल नहीं निकल पाया था, जिसके बाद अगली तारीख 6 जून रखी गई.
उधर दूसरी तरफ, सैटेलाइट इमेजरी से खुलासा हुआ है कि चीन, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट में नेवल बेस को मजबूत करने में लगा है जिससे वो अपने नेवल एसेट को तैनात कर सके. सुरक्षा जानकारों के मुताबिक चीन, ग्वादर को आधुनिक बनाने में लगा हुआ है और ग्वादर और उसके आस-पास के इलाकों को बड़ी तेजी से विकसित करने में लगा हुआ है. चीन, ग्वादर पोर्ट के जरिये हिंद महासागर में अपनी घुसपैठ बढ़ाना चाहता है. जिससे चीन इसका इस्तेमाल Naval बेस के तौर पर कर सके और जरूरत पड़ने पर भारत की बढ़ती समुद्री ताकत पर अंकुश लगाने के लिए किया जा सके.
चीन, ग्वादर को चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर यानी CPEC से जोड़ने में लगा हुआ है जिससे वो इसका इस्तेमाल चीनी सामानों की आवाजाही के लिए कर सके.
पाकिस्तान में चीन की तरफ से किये जा रहे CPEC और ग्वादर के पास हो रहे निर्माण का काफी विरोध भी हो रहा है. जिसकी वजह से चीन ग्वादर पोर्ट के आस पास हाई सिक्योरिटी कंपाउंड बना रहा है जिससे किसी भी विरोध और हमले के दौरान अपने लोगों को बचाया जा सके. चीन के सैकड़ों इंजीनियर ग्वादर और कराची पोर्ट के आस पास निर्माण के काम मे लगे हुए हैं.
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें