चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को अपनी सेना को युद्ध की तैयारियों को पूरा करने का आदेश दिया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन ने बड़ी संख्या सैनिकों को एलएसी पर तैनात किया है.
जानकारों का कहना है कि सीमा पर चीन के चिढ़ने का मुख्य कारण भारत द्वारा तेजी से किया जा रहा इंफ्रास्ट्रक्चर विकास है. लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में एलएसी के साथ कई क्षेत्रों में हाल ही में भारतीय और चीनी दोनों सेनाओं द्वारा बड़े सैन्य निर्माण हुए हैं.
चीन लंबे समय से एलएसी पर अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाता रहा है. जबकि भारत ने बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सड़क व एयरबेस परियोजनाओं का विकास किया है.
भारत ने अब सीमा पर अपने सैनिकों के युद्धसामग्री ले जाने के लिए पिछले कुछ सालों से इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया है. चीन के गुस्से का यही प्रमुख कारण माना जा रहा है. यही नहीं विवादित दक्षिण चीन सागर में ताइवान जलडमरूमध्य में अमेरिकी नौसेना के साथ चीन का सैन्य घर्षण भी बढ़ रहा है.
जबकि दोनों के देशों के बीच कोरोनोवायरस महामारी की उत्पत्ति आरोप- प्रत्यारोप का दौर जारी है. रविवार को चीनीविदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिकी राजनेताओं के प्रयासों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अमेरिका, चीन के साथ संबंधों को नए शीत युद्ध के कगार पर धकेल रहा है.
22 मई को चीन, अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा सैन्य खर्च अपने रक्षा बजट के जरिए घोषित किया, जिसे 6.6 प्रतिशत बढ़ाकर 179 बिलियन अमरीकी डॉलर कर दिया है. यह भारत के लगभग तीन गुना बड़ा है. जब से शी जिनपिंग सत्ता में आए थे वह विस्तारवादी नीति को बढ़ावा देते आए हैं. उन्होंने रक्षा बलों को भी
पुर्नजीवित किया, तीन लाख सैनिकों द्वारा पीएलए की ताकत में कटौती की और अपनी नौसेना और वायु शक्ति को बढ़ाया.
भारत से क्यों चिढ़ा है चीन
भारत चीन को लगातार को चुनौती दे रहा है. पिछले साल भारत ने 255 किमी लंबे दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DBO) यानी DSDBO रोड के निर्माण को पूरा किया. DSDBO 37 पुल है, जो सैनिकों और लॉजिस्टिक्स को आसान बनाते हैं. यह सड़क काराकोरम दर्रे तक जाती है.
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