नवजीवन डेस्क
राहुल गांधी ने कहा कि अनेक राज्यों द्वारा श्रमकानूनों में संशोधन किया जा रहा है। हम कोरोना के खिलाफ मिलकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन यह मानवाधिकारों को रौंदने, असुरक्षित कार्यस्थलों की अनुमति, श्रमिकों के शोषण और उनकी आवाज दबाने का बहाना नहीं हो सकता। इन मूलभूत सिद्धांतों पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश समेत कई राज्य सरकारों के श्रम कानूनों में संशोधन पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।
राहुल ने सवाल उठाया है कि क्या कोरोना और अर्थव्यवस्था की बात कर हम मजदूरों के सभी हक उनसे छीन लेना चाहते हैं। राहुल गांधी ने आगे कहा कि कोरोना के खिलाफ तो पूरा देश एकजुटता से लड़ रहा है लेकिन मूलभूत सिद्धान्तों से समझौता नहीं होगा।सोमवार दोपहर किए अपने ट्वीट में मजदूरों का मुद्दा उठाते हुए राहुल ने कहा है- अनेक राज्यों द्वारा श्रमकानूनों में संशोधन किया जा रहा है।
हम कोरोना के खिलाफ मिलकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन यह मानवाधिकारों को रौंदने, असुरक्षित कार्यस्थलों की अनुमति, श्रमिकों के शोषण और उनकी आवाज दबाने का बहाना नहीं हो सकता। इन मूलभूत सिद्धांतों पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
आपको बता दें, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत छह राज्य अब तक श्रम कानूनों में बदलाव कर चुके हैं। इसमें मजदूरों को मिले अधिकारों पर कैंची चलाई गई है। काम के दौरान कई तरह की सुरक्षा जो उन्हें कानून के तौर पर मिली थी वो खत्म हुई है। विपक्ष के नेता और कई संगठन जहां इसे मजदूरों को बंधवा करने वाले कानून कह रहे हैं तो सरकारों का तर्क है कि लॉकडाउन की वजह से ठप हुए उद्योग-धंधों को पटरी पर लाने के लिए ये किया गया है।
इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस पर ट्वीट कर लिखा- यूपी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। आप मजदूरों की मदद करने के लिए तैयार नहीं हो। आप उनके परिवार को कोई सुरक्षा कवच नहीं दे रहे। अब आप उनके अधिकारों को कुचलने के लिए कानून बना रहे हो। मजदूर देश निर्माता हैं, आपके बंधक नहीं हैं।
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